Friday, June 25, 2010

Nisha Nimantran - Tum toofan samajh paoge - Dr. Bachchan

तुम तूफ़ान समझ पाओगे?

गीले बादल, पीछे रजकण,
सूखे पत्‍ते, रूखे तृण घन
लेकर चलता करता 'हरहर'- इसका गान समझ पाओगे?
तुम तूफ़ान समझ पाओगे?

गंध-भरा यह मंद पवन था,
लहराता इससे मधुवन था,
सहसा इसका टूट गया जो स्‍वप्‍न महान, समझ पाओगे?
तुम तूफ़ान समझ पाओगे?

तोड़-मरोड़ विटप लतिकाऍं,
नोच-खसोट कुसुम-कलिकाऍं,
जाता है अज्ञात दिशा को! हटो विहंगम, उड़ जाओगे!
तुम तूफ़ान समझ पाओगे?

No comments:

Post a Comment